नाम- बाल गंगाधर तिलक
भारत की भूमि पर किसी ईश्वरीय शक्ति की महिमा समय-समय पर मुखरित होती रहती है। जब कभी कोई प्रतिकूल परिस्थितियों का निर्माण होता है तो उसकी कोख से समय की दिशा को बदलने वाले कोई-न-कोई महापुरुष पैदा हो जाते हैं। सन् 1857 का स्वतन्त्रता-संग्राम प्रारम्भ होने के लिए अभी पृष्ठभूमि बन रही थी। तभी समय की शिला पर एक पगध्वनि भी उभर रही थी। राष्ट्रीयता की भावना का केन्द्र-स्थल महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश के रत्नागिरि नामक स्थान पर श्री गंगाधर पंत के यहाँ 23 जुलाई 1856 को एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ; जिसका नाम केशव रखा गया। इस बालक का उपनाम ‘बाल’ रखा गया जो कालान्तर में उसके नाम का पर्याय बन गया। भारतीय इतिहास में यह बालक ‘बाल गंगाधर तिलक’ के नाम से प्रख्यात हुआ और भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का एक अमर सेनानी बन गया। बालक अपने जन्म के साथ ही भारत में स्वतन्त्रता-संग्राम का शंखनाद लेकर आया था। स्वतन्त्रता-संग्राम देशव्यापी बन गया था मगर कुछ लोगों की अदूरदर्शिता और कुछ लोगों की देशद्रोहिता के कारण वह सफल नहीं हो सका। बाल गंगाधर इस टूटी हुई स्वतन्त्रता-संग्राम की कड़ी को जोड़ने के लिए इस भारत-भूमि पर आ चुका था।